Nothing is Impossible। असंभव कुछ नहीं
Nothing is Impossible। असंभव कुछ नहीं
Introduction :
इस दुनिया में लगभग ८५ % लोग लक्ष्यहीन जीवन जीते हैं। १२ % लोग लक्ष्य तो तय करते हैं लेकिन उनपर actions नहीं लेते। उनके लक्ष्य उनके दिमाग में ही रह जाते हैं और जिंदगी के अंतिम पड़ाव में उनके पास अफ़सोस के अलावा कुछ नहीं होता। बाकी ३ % लोग कुछ ऐसा लक्ष्य तय करते हैं जो आम इन्सान को बिलकुल असंभव लगता है लेकिन ये ३ % लोग उस लक्ष्य को पाने के लिए अपनी जान लगा देते हैं और असंभव को संभव कर देते हैं क्योंकि उनका एक ही mindset होता है Nothing is Impossible.
और वो जानते हैं की आप जिस चीज की कल्पना की जा सकती है उसकी रचना भी की जा सकती है।
जब ये ३ % लोग अपना लक्ष्य पूरा करते हैं तो बाकि ९७ % लोग इस आश्चर्य में पड़ जाते हैं की ये कैसे संभव है ! लेकिन अब ये जानना बहुत जरुरी है की अगर इन्सान चाहे तो इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं है। Everything is possible in this world.
हर एक काम असंभव तब तक लगता है जब तक उस काम को कोई कर ना लें। अगर वो इन्सान कर सकता है तो हम सब कर सकते हैं। ईश्वर ने सबको एक जैसी क्षमताओं का वरदान दिया है लेकिन जो उन क्षमताओं का पूरी तरह से उपयोग करता है वो ही सफल बनता है। जो असंभव को संभव बनाता है वो ही दुनिया पर राज करता है।
Possible या Impossible ये सिर्फ हमारे दिमाग की limits हैं। ये सिर्फ शब्द हैं और जबतक हम इन शब्दों को ऊर्जा नहीं देते तब तक ये शब्द meaningless हैं। जो लोग Impossible शब्द को ज्यादा महत्व देते हैं उनकी अपने लक्ष्य के पीछे भागने की हिम्मत नहीं होती इसीलिए उनके लिए सब कुछ असंभव ही रह जाता है और खुद का लक्ष्य होने के बावजूद भी ये ९७ % लोग ३ % लोगों के लक्ष्य पुरे करने के लिए अपनी सारी जिंदगी गुजारते हैं। वैसे देखा जाए तो ये ९७ % लोग उन ३ % लोगों से ज्यादा काबिल होते हैं लेकिन इतनी काबिलियत होने के बावजूद भी जब लक्ष्य का पागलपन हो तो इंसान actions लेता है और लक्ष्य ना हो तो कारण देता है।
अगर आप असंभव को संभव बनाना चाहते हैं तो अपने क़दमों की क़ाबिलियत पर विश्वास रखें, आप लक्ष्य तक जरूर पहुंचेंगे।
The stories of those people who made the impossible possible :
इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं है। ये तो एक ऐसा शब्द है जिसे हम जितनी बार सोचते हैं उतनी बार ये मजबूत होता जाता है और उतनी ही मजबूती के साथ आपके सामने खड़ा हो जाता है। असल में जितनी भी प्रजातियाँ इस धरती पर पायी जाती हैं वो सब अपनी क्षमताओं का पूरी तरह से उपयोग करती हैं और मानव ही एक ऐसी प्रजाति है जो excuses देने में expert है। लेकिन हम जो सोच सकते हैं उसे पा भी सकते हैं। खुद में किया छोटासा बदलाव हमें कहाँ से कहाँ तक पहुंचा सकता है इसकी हजारों कहानियाँ हैं।
एक बात तो हमें अपने जहन में उतारनी ही होगी की जितना कठिन हमारा संघर्ष होगा, जीत उतनीही शानदार होगी। लेकिन संघर्ष के समय जो लोग खुद में स्थित ऊर्जा को पहचानते हैं वो ही इतिहास रचते हैं और बुद्धिजीवी लोग उस इतिहास को सिर्फ पढ़ते हैं। इतिहास रचनेवाले लोगों को पता था की अपने अंदर की ऊर्जा को एकसाथ समेटकर किसी एक लक्ष्य पर लगाया जाये तो दुनिया की कोई ऐसी ताकत नहीं है जो उन्हें रोक सकती है।
हमारी आदतें ही हमारा भविष्य तय करती है इसीलिए हमें हमारी छोटी और नकारात्मक सोच की आदत को बदलना होगा। हम वो कर सकते हैं जो दुनिया के महान लोगों ने किया है और हम वो भी कर सकते हैं जो आज तक किसीने नहीं किया है और उनके लिए असंभव है।
हाथ पैर न होते हुए या फिर शरीर की अपाहिजता के बावजूद भी, बदतर परिस्थिति होने के बाद भी कुछ लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और चल पड़ें अपने लक्ष्य की और !
श्रीनिवास रामानुजन जो भारत के महान गणित विचारक थे। उन्होंने अपनी ३२ साल की उम्र में ही गणित के ४००० equations की खोज की थी। गरीबी और बिमारियों के कारन उन्हें अपनी पढाई छोड़नी पड़ी लेकिन इसके बावजूद भी ईश्वर पर गहरा विश्वास और गणित में उनकी लगन उनको हमेशा प्रेरित करती रही और इतनी कठिनाइयों के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
अरुणिमा सिन्हा जिसका एक पैर कृत्रिम होने के बाद भी वो एवरेस्ट पर चढ़ाई करके वहाँ हमारे भारत का तिरंगा लहराके आ गयी। जिसे सब लोग कहते थे की ये अब जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगी और अपाहिज होकर जियेगी। अरुणिमा शरीर से तो अपाहिज थी लेकिन उसका मन अपाहिज नहीं था, उसमें दुनिया को हिलाने की ताकत थी। बिलकुल इसी तरह विल्मा रुडोल्फ जिन्हें पोलियो था और डॉक्टर ने कहा था की वो चल नहीं पाएगी। लेकिन उसकी माँ ने उसे प्रेरणा दी की वो चल सकती है और आश्चर्य की बात तो ये है की उसने ओलिंपिक में ३ बार गोल्ड मेडल जीता। अरुणिमा, विल्मा और उनके जैसे बहुत सारे लोग जिन्होंने अपने शरीर की विकलांगता पर विजय पाकर इतिहास रचा और हम सिर्फ excuses देते रहते हैं और परिस्थितियों पर रोते रहते हैं।
हैरी एंड्रिउस जो ब्रिटिश ओलिंपिक में कोच हुआ करते थे उन्होंने एक स्टेटमेंट किया था की एक मील दौड़ का रिकॉर्ड ४ मिनिट से कम समय में तोडना मानव के लिए असंभव है। रॉजर बेनिस्टर ने इस statement को चैलेंज की तरह स्वीकार किया और ३:५९:०४ मिनिट्स में एक मील का अंतर पूरा करके एंड्रिउस को गलत साबित किया। और रॉजर बेनिस्टर के बाद एक स्कूल जानेवाले लड़के ने रॉजर बेनिस्टर का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया सिर्फ ३:५९:०० मिनिट्स में एक मील का अंतर पार करके !
राइट बंधू जिन्होंने एक कल्पना की थी, मानव भी हवा में उड़ सकता है। तब सब लोगों ने उनका मजाक उड़ाया और पागलों के अस्पताल में भर्ती होने का सुझाव भी दिया। लेकिन उन्होंने वो कर दिखाया जो आम इंसान के लिए बिलकुल असंभव था। सायकल के पार्ट्स का उपयोग करके उन्होंने एक हवाई जहाज बनाया और आप तो देख ही रहे हैं की हवाई जहाज से यात्रा कितनी आसान हो गई है।
इसी तरह जितनी भी टेक्नोलॉजी और inventions का उपयोग हम कर रहे हैं वो सब उस वक़्त सिर्फ असंभव ही लग रही थी लेकिन आज हमारी जिंदगी कितनी आसान हो गयी है। अब तो इन inventions और technology के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।
हर एक देश अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्री भेज रहा है और नए नए inventions हो रहे हैं। दूसरे ग्रहों पर जाना आज इतना आसान हो गया है जितना एक गाँव से दूसरे गाँव जाना। हर एक समस्या का समाधान आज हमारे पास है, कितनी भी बड़ी आपत्ति आये उस पर मात करना आज इंसान जानता है। क्या अब भी ये कहना सही है की It was impossible !
यहाँ तो बहुत ही कम उदाहरण दिए गए हैं। ऐसे उदाहरणों से दुनिया भरी हुई हैं जिन लोगों ने असंभव लगनेवाली चीजों को संभव करके दिखाया है। हम अपने ही दिमाग के बंधनों में बँधकर अपने ही नकारात्मक विचारों के गुलाम हो चुके हैं लेकिन आज हम इन नकारात्मक विचारों की जंजीरों को तोड़ेंगे और जो हमारे दिमाग को असंभव लगता है उसे संभव करके दिखाएंगे।
दोस्तों मुझे पूरा यकीन है की आप भी अब तैयार हुए होंगे असंभव को संभव करने के लिए ! इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये ताकि हमारे दिमाग से ये Impossible शब्द नष्ट हो जाए क्योंकि इस शब्द ने हमारी creativity को मार दिया है इसीलिए हमें हमारी सोच को मजबूत बनाना होगा। खुद को इतना काबिल बनाना होगा की लक्ष्य कितना भी बड़ा हो, वो आपको आसान लगें और संभव भी !
अब बहुत ध्यान से पढ़ना दोस्तों, हम Impossible को Possible तभी कर सकते हैं जब हमारे सामने कोई ध्येय हो या उस काम को करने का हमारा कोई खास उद्देश्य हो ! आपके लिए सब कुछ संभव है लेकिन उसके लिए आपके आंखों में कोई सपना हो और जिसके लिए आप अपनी पूरी क्षमता दाँव पर लगाए। और एक बात तो आपको हमेशा ध्यान में रखनी है की अगर आप वही करोगे जो करते आये हैं तो वही मिलेगा जो मिलता आया है। जिंदगी में कुछ अलग बदलाव चाहते हैं तो कुछ अलग करना पड़ेगा। हमें हमारी डिक्शनरी से Impossible शब्द को निकलना पड़ेगा।
Thanks for Reading : Nothing is Impossible।असंभव कुछ नहीं
Yes we can. Aakarshanacha kayda Sathi Keval ho ha ek shabda hai..
Thanks a lot..
Nice