Real value of Life
Real value of Life
Introduction :
कई बार हमें ऐसा लगता है की कैसी जिंदगी भगवान ने हमें दी है, कुछ नहीं रखा इस जिंदगी में और हम इस जिंदगी के बारे में ईश्वर को कोसने लगते हैं। ईश्वर ने सबको एक जैसी ही जिंदगी दी है लेकिन हम उसे कैसे बिताते हैं ये हमारे हाथ में हैं। Real value of Life इस कहानी में हम अपने जीवन के मूल्य को जानेंगे।
Story :
एक बार एक लड़के ने अपने पापा से पूछा, पापा मेरी लाइफ की वैल्यू क्या है ? सब कहते हैं तेरी जिंदगी बेकार है, तू कुछ नहीं कर सकता, इस परिस्थिती में मैं क्या करू ? तो पापा ने कहा, अगर सच में तुम अपनी लाइफ की वैल्यू जानना चाहते हो तो एक काम करो, इस पत्थर को हाथ में ले लो और जैसा मैं बताता हूँ वैसा करो।उन्होंने अपने बेटे को एक चमकीला पत्थर हाथों में थमा दिया और बोलें, इसे लो और बाहर जाके रास्ते पे बैठो। अगर कोई इसकी कीमत पूछे तो कुछ भी मत बोलना सिर्फ अपने हाथों की दो उंगलियाँ दिखाना।
वो लड़का जाकर रास्ते पे बैठा। थोड़ी देर बाद वहाँ से एक भिखारी जा रहा था। उसने उस पत्थर को देखा और उस लड़के से पूछा की इस पत्थर की कीमत क्या है ? उस लड़के ने कुछ भी ना बोलते हुए सिर्फ अपनी दो उंगलियाँ दिखाई। तो उस भिखारी ने उस लड़के से पूछा, दो रुपए ? क्या इस चमकीले पत्थर की कीमत दो रूपए है ?
अब ये सुनकर लड़का घर आया और उसने सारी बात अपने पापा को बताई। पापा बोले, अब इस पत्थर को बाजार लेके जाओ और जैसा मैंने बोला है वैसा ही करो। अब वो लड़का बाजार में चला गया और राह देखता रहा की कोई तो आये और इस पत्थर के बारे में पूछे। थोड़ी देर बाद एक बुढ़िया आयी और उस लड़के से पत्थर की कीमत पूछने लगी क्योंकि उसे भी वो पत्थर बहुत ही प्यारा लगा था। तो उस लड़के ने सिर्फ अपनी दो उंगलियाँ दिखाई। तो उस बुढ़िया ने पूछा, दो सौ रुपये ? लड़के ने हाँ बोला और घर चला आया और अपने पापा को सारी कहानी बता दी। उसे इस बात का आश्चर्य हो रहा था की एक ही पत्थर को कोई दो रुपए दे रहा है तो कोई दो सौ रुपए !
अब पापा बोलें की इस पत्थर को लेकर कीमती पत्थरों की दूकान पर जाना और जैसा बताया है वैसाही करना। उस लड़के की उत्सुकता और भी बढ़ रही थी। वो दौड़ता हुआ उस दुकान पर पहुँचा जहाँ पर चमकीले और कीमती पत्थर बेचे जाते थे। उस दूकान पर ज्यादातर अमीर घर के लोग ही आते थे।
ये लड़का उस दूकान के बाहर हाथ में वो पत्थर लिए खड़ा हो गया। बहुत सारे लोग आते और उनको पसंदीदा पत्थर लेके चले जाते। ये लड़का आते जाते लोगों को सिर्फ देखता लेकिन बोलता कुछ नहीं। थोड़ी देर बाद एक बड़ी सी गाडी में से एक आदमी उतरा और दूकान की ओर आने लगा। अंदर जाते जाते उसका ध्यान उस पत्थर पे गया जिसे हाथ में लेके वो लड़का खड़ा था।
उस आदमी ने लड़के से पूछा, बेटे क्या तुमने ये पत्थर इस दुकान से खरीदा है ? तो उस लड़के ने बिना बोले सिर्फ गर्दन को हिलाकर ‘ना’ बोला। अब उस आदमी ने फिर से पूछा, तो क्या तुम इसे बेचना चाहते हो ? तो उस लड़के ने हाँ बोला। अब जब उस आदमी ने पत्थर की कीमत पूछी तो लड़के ने सिर्फ अपनी दो उँगलियाँ उठाई तो उसने पूछा, बीस हजार रुपए ? लड़के के होश ही उड़ गए। वो भागता हुआ अपने पापा के पास आया और बोला की, पापा इस साधारण से पत्थर के लिए कोई आदमी बीस हजार रुपए कैसे दे सकता है ?
पापा बोले, अब तो तुम्हे और भी आश्चर्य होनेवाला है क्योंकि इस पत्थर को लेकर तुम्हे म्युझियम में जाना है। लड़के ने उस पत्थर को लिया और वो शहर के बड़े म्युझियम के बाहर जाके रुक गया। थोड़ी देर बाद अंदर से एक बूढ़ा आदमी आया और पूछने लगा की बेटा तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? तो उस लड़के ने पत्थर की तरफ इशारा किया। उस पत्थर को देखके वो बूढ़ा आदमी चौंक गया और कहने लगा, बेटे ये पत्थर तुम्हें कहाँ मिला ? क्या तुम इस पत्थर को हमें दे सकते हो ? हम इसकी मुँहमाँगी रकम देने के लिए तैयार है। क्या है इसकी कीमत ? तो उस लड़के ने सिर्फ अपनी दो उँगलियाँ दिखाई। तो वो बूढ़ा आदमी बोला, दो लाख रुपये ? ठीक है हम तुम्हे दो लाख रुपए देने के लिए तैयार है तुम अभी इस पत्थर को हमें दो और अपने पैसे लेके जाओ।
ये घटना तो अब इस लड़के के समझ के बाहर थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करें। वो सीधा अपने पापा के पास आया और उसने सब कुछ अपने पापा को बताया और बोला की पापा मैं हैरान हूँ इस पत्थर की कीमत जानके ! मुझे बहुत ही आश्चर्य हो रहा है, अब मैं और ज्यादा उत्सुक हूँ इस पत्थर की कीमत जानने के लिए ! पापा बताइये अब मुझे कहाँ जाना है ? तो उसके पापा अपने बेटे को अपने गले से लगाते हुए बोलें, बेटा अब तुम्हे कही पर जाने की जरूरत नहीं है बल्कि अब तुम्हे अपनी जिंदगी की कीमत जानने की जरुरत है जो तुम मुझसे जानना चाहते थे।
जिस तरह पत्थर की कीमत जगह जगह के हिसाब से बदल रही थी वैसे ही हमारी लाइफ की कीमत हम अपने आप को कहाँ और किसके साथ रखते हैं उस हिसाब से बदलती जाती है। अब तुम्हारे हाथ में है की तुम्हे दो रूपए का पत्थर बनाना है या दो लाख रूपए का !
अब उस लड़के को तो अपने जीवन की कीमत पता चली लेकिन क्या हम भी ये जान पाए हैं की हमारे जीवन की कीमत क्या हैं ? हम इस जिंदगी का एक एक क्षण ऐसे waste कर रहें हैं जैसे हजारों साल की जिंदगी मिली हो ! हम खुद की वैल्यू नहीं करते, बार बार खुद की कमजोरियाँ निकालते रहते हैं और खुद ही दूसरों के सामने अपनी वैल्यू कम कर देते हैं। तो इस कहानी से हम क्या सीखेंगे ?
ईश्वर इस ब्रह्माण्ड का निर्माता है। उसने हम सबको एक जैसी और हसीन जिंदगी दी है। बहुत सारी क्षमताओं से नवाजा है। इस हसीन जिंदगी का आनंद हमें लेना है। खुद की वैल्यू करनी है, अपनी क्षमताओं को पहचानना है।
बेशक दूसरे हमें कम समझे लेकिन हमें हमेशा self motivated रहना है, खुश रखना है, स्वस्थ रखना है और इस हसींन जिंदगी के लिए ईश्वर को धन्यवाद देना है।
Thanks for reading : Real value of Life.
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